श्री सोनाणा खेतलाजी की आरती
जय खेतल देवा, देवा जय-जय झंकारा।
आरती उतारा मिलकर खेतल रखवाला।।
जय-जय झंकारा...
खड्ग त्रिशूल धर खप्पर सोहे, डमरु कराधारा।
कान में कुण्डल खनके शीशा मुकुट देवा।।
जय खेतल देवा...
शोभित श्र्वान सवारी, नमता नर—नारी।
आनन्द मंगल करना महिमा है भारी।।
जय खेतल देवा।।
तेल सिंदुर चढ़ावत, फूलड़ा री माला।
नारियल भेंट चढ़ावा मानो लटियाला।।
जय खेतल देवा
पूजा पाठ करा मैं, आनन्द करनारा।
चौकी पावन थारी रूप है मनभारा।।
जय खेतल देवा...
चिंता चूरों आशा पूरो, नवनिधि थे देवा,
आनन्द मंगल करजो चरणा में लेवो।
जय खेलत देवा...
श्री सोनाणा भैरुं की आरती जो कोई गावे।।
शांति-सूरज चरण रज पावे इच्छा फल पावे।।
जय खेतल देवा...