गुरु गोरख नाथ चालीसा

|| गुरु गोरख नाथ चालीसा ||
 
 || दोहा ||
 

 गणपति गिरजा पुत्र को सुमिरु बारम्बार |
 हाथ जोड़ बिनती करू शारद नाम आधार ||
 
 || चोपाई ||
 
 जय जय जय गोरख अविनाशी | कृपा करो गुरुदेव प्रकाशी ||
 जय जय जय गोरख गुण ज्ञानी | इच्छा रूप योगी वरदानी ||
 
 अलख निरंजन तुम्हरो नामा | सदा करो भक्त्तन हित कामा ||
 नाम तुम्हारो जो कोई गावे | जन्म जन्म के दुःख मिट जावे ||
 जो कोई गोरख नाम सुनावे | भूत पिसाच निकट नहीं आवे ||
 ज्ञान तुम्हारा योग से पावे | रूप तुम्हारा लख्या न जावे ||
 
 निराकार तुम हो निर्वाणी | महिमा तुम्हारी वेद न जानी ||
 घट-घट के तुम अंतर्यामी | सिद्ध चोरासी करे परनामी ||
 भस्म अंग गल नांद विराजे | जटा शीश अति सुन्दर साजे ||
 तुम बिन देव और नहीं दूजा | देव मुनिजन करते पूजा ||
 
 चिदानंद संतन हितकारी | मंगल करण अमंगल हारी ||
 पूरण ब्रह्मा सकल घट वासी | गोरख नाथ सकल प्रकाशी ||
 गोरख गोरख जो कोई धियावे | ब्रह्म रूप के दर्शन पावे ||
 शंकर रूप धर डमरू बाजे | कानन कुंडल सुन्दर साजे ||
 
 नित्यानंद है नाम तुम्हारा | असुर मार भक्तन रखवारा ||
 अति विशाल है रूप तुम्हारा | सुर नर मुनि जन पावे न पारा ||
 दीनबंधु दीनन हितकारी | हरो पाप हम शरण तुम्हारी ||
 योग युक्ति में हो प्रकाशा | सदा करो संतान तन बासा ||
 
 प्रात : काल ले नाम तुम्हारा | सिद्धि बढे अरु योग प्रचारा ||
 हठ हठ हठ गोरछ हठीले | मर मर वैरी के कीले ||
 चल चल चल गोरख विकराला | दुश्मन मार करो बेहाला ||
 जय जय जय गोरख अविनाशी | अपने जन की हरो चोरासी ||
 
 अचल अगम है गोरख योगी | सिद्धि दियो हरो रस भोगी ||
 काटो मार्ग यम को तुम आई | तुम बिन मेरा कोन सहाई ||
 अजर अमर है तुम्हारी देहा | सनकादिक सब जोरहि नेहा ||
 कोटिन रवि सम तेज तुम्हारा | है प्रसिद्ध जगत उजियारा ||
 
 योगी लखे तुम्हारी माया | पार ब्रह्म से ध्यान लगाया ||
 ध्यान तुम्हारा जो कोई लावे | अष्ट सिद्धि नव निधि पा जावे ||
 शिव गोरख है नाम तुम्हारा | पापी दुष्ट अधम को तारा ||
 अगम अगोचर निर्भय नाथा | सदा रहो संतन के साथा ||
 
 शंकर रूप अवतार तुम्हारा | गोपीचंद, भरथरी को तारा ||
 सुन लीजो प्रभु अरज हमारी | कृपासिन्धु योगी ब्रहमचारी ||
 पूर्ण आस दास की कीजे | सेवक जान ज्ञान को दीजे ||
 पतित पवन अधम अधारा | तिनके हेतु तुम लेत अवतारा ||
 
 अखल निरंजन नाम तुम्हारा | अगम पंथ जिन योग प्रचारा ||
 जय जय जय गोरख भगवाना | सदा करो भक्त्तन कल्याना ||
 जय जय जय गोरख अविनाशी | सेवा करे सिद्ध चोरासी ||
 जो यह पढ़े गोरख चालीसा | होए सिद्ध साक्षी जगदीशा ||
 
 हाथ जोड़कर ध्यान लगावे | और श्रद्धा से भेंट चढ़ावे ||
 बारह पाठ पढ़े नित जोई | मनोकामना पूर्ण होई ||